Ekta Singh

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लेखनी कहानी -02-Jan-2023

😚😊😊नई उम्मीद😊😊
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आज एक नई उम्मीद से यह कहानी लिखने बैठी हूँ। अपनी पुरानी यादों को कूड़ेदान में डालने बैठी हूँ। एक ऐसा कूड़ेदान जिसमें से वह पुरानी यादें कभी भी मुझे झकझोर ना सके। 

कोशिश कर रही हूँ कि वह मेरे पास ना आए।हो सकता है ••वह यादें मुझे फिर आ जाए। लेकिन कहते हैं ना कि? कोशिश तो हर इंसान को करनी ही चाहिए। 

कभी मुझे लगता है।मैं सही हूँ? तभी कहीं से कोई आवाज आती है वह कहती है तू  दोषी हैं??

मैं फिर चक्रव्यूह में फंस जाती हूं। खुद को बार-बार गलत गलत गलत साबित करके आज थम जाना चाहती हूँ।

क्योंकि उसने•••• अब आप कहेंगे कि उसने कौन है?? उसने से मेरा मतलब मेरे हमसफर से है। "जिसे मैंने 25 सालों में बहुत प्यार किया। और अब भी करती हूँ और अपनी अंतिम सांसों तक करती रहूंगी"

हमेशा मुझे गलत ही कहा। मुझे याद  ही नहीं उसने मुझे सही कब कहा। मेरे अपनों ने कहा समय के अनुसार वह बदल जाएगा। अच्छे-अच्छे बदल जाते हैं। लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ मैंने बहुत लोगों को बदलते देखा लेकिन मेरे साथ उल्टा हुआ वह इतना बदल गया कि उसे अब समझना मेरे बस की बात नहीं है।

मैं उसकी बातें इसीलिए दोहरा रही हूँ क्योंकि मैं यह पेज सिल देना चाहती हूँ। उसके साथ रहते हुए भी दूर जाना चाहती हूँ।

इतने सालों में मैंने उसको बहुत वक्त दिया। लेकिन 
अब और नहीं?

कब तक मैं उसके बारे में ही सोचती रहूं। माना वह मेरी जीवन का हिस्सा है वह मेरे बच्चों का पिता है वह मेरा पति है। पति भगवान तो नहीं होता।
जैसा कि इस समाज ने बना रखा है।

मैं इस समाज के नियमों को तोड़ने की बात नहीं कर रही हूँ। मैं जिंदगी के उस मोड़ पर खड़ी हूँ जिधर से मैं वापस भी नहीं जा सकती। यह वह मोड़ है एक और हमारा रिश्ता है ??दूसरे और हमारे बच्चे? हम औरतों का तो क्या है, वह तो ऐसे ही जी लेती हैं।

उनको तो मर मर के जीने की आदत जो होती है क्योंकि पहले पिता धक्का दे देता है फिर पति धक्का दे देता है फिर बच्चे के धक्का दे देते?

उनके बारे में तो कोई सोचने वाला होता ही नहीं है।
उनको तो बस एक बात ही सुनने को मिलती है कि •••••••और तुम्हें क्या चाहिए ?अच्छा पति है, बच्चे हैं,अच्छा घर है, पति अच्छा काम आता है, उसमें किसी तरह का ऐब भी नहीं है।
और क्या चाहिए एक स्त्री को?

उसकी मनोदशा तो कोई समझता ही नहीं है?
वह तो घर में रहने वाली एक कठपुतली जैसी है।
क्योकि सारा दिन घर में रहती है मजे से खाना खाती है और सो जाती है। इसके अलावा उसे काम ही क्या है? यह परिभाषा है एक औरत की?

एक तरफ हम 2023 में कदम रख रहे हैं लेकिन फिर भी आज भी हम औरतों की बहुत बुरी हालत है।

जहाँ देखो औरतों से ही समझौता करने को कहा जाता है क्योंकि हम तो औरत है? औरत होना सबसे बड़ा दोष है?

🙏 हे प्रभु अगले जन्म में मुझे औरत का जन्म नहीं चाहिए मुझे भी पुरुष बनना है लेकिन मैं ऐसा पुरुष  बनना चाहती हूँ जो औरतों को सम्मान करें। 

जैसा कि मेरे हमसफर का कहना है कि तुम घर में रहती हो? बच्चे भी नहीं संभाल सकती?  मैं सारा दिन घर से बाहर रहकर काम करता हूँ।पैसा कमाता हूँ ,तुम्हें कभी पैसे की दिक्कत होने देता हूॅ।

 •••••••• लेकिन क्या पैसा कमाना ही एक आदमी का काम है??और उसका कोई दायित्व नहीं अगर वह पैसा कमाकर देगा तो भी ,इस बात पर भी एहसान है?

लेकिन अब बहुत हुआ ।कभी तो उसे मुझे समझना चाहिए ?हर बात के लिए मुझे क्यों कसूरवार ठहराता है?

मुझे क्यों घुट घुट के मरने के लिए मजबूर किया जाता है?

मुझे पता है हर कोई परफेक्ट नहीं होता हर इंसान में कुछ ना कुछ कमी होती है मेरे अंदर भी बहुत सारी कमी होगी?

तो मुझे वह हर बार एक कटघरे मे खड़ा क्यों कर देता है? जहाँ दोषी मैं ही होती हूँ? मुझे वह बार-बार सूली पर चढ़ाता रहता है?

मुझे मेरी ही नजरों में हर पल गिराता रहता है?
अब मैं तंग आ गई हूं?

मैं इस इंसान से तलाक लेना चाहती हूँ।

एक मन का तलाक जिसमें एक मन दूसरे मन की बातें ना करें,दूसरे मन के बारे में ना सोचे, अपने मन को शांत रखें। सिर्फ शांत रखें। कोई भी फर्क ना पड़े उसकी बातों से, वह चाहे कितना भी गंदा बोले, मेरा मन शांत रहे, मैं एक नई दुनिया बसाना चाहती हूँ।जिसमें सिर्फ मैं हूँ।
और कोई नहीं।

मैं खुद को शांत करना चाहती हूँ।किसी के बारे में कुछ भी नहीं सोचना चाहती हूँ ।खुद को बदलना है। दूसरों को बदलने के चक्कर में खुद को खत्म कर दिया। दूसरों के हिसाब से बहुत चली। मुझे लगा •••••अगर मैं दूसरों के हिसाब से चलूंगी तो वह खुश रहेंगे इसलिए मैं उनके हिसाब से चलती रही उनके हिसाब से ढलती रही जैसा उन्होंने चाहा???

मैंने बहुत कोशिश की।इस इंसान को मैंने अपनी जिंदगी के 25 साल दे दिए लेकिन इस पर कोई भी
फर्क नहीं पड़ा।
किसने सही कहा है?? 

कभी-कभी कोई कुछ ही पलों में अपना हो जाता है और कभी कभी बरसों साथ रहकर भी कोई अपना नहीं होता।

लेकिन अब मैं खुद को इन परिस्थितियों से बाहर निकालना चाहती हूँ। परेशानियाँ तो जिंदगी भर रहेगी ही। उनसे आप पीछा नहीं छुड़ा सकते। क्योंकि हर पल एक समस्या खड़ी रहती है।फिर दूसरे ही पल उसका हल भी मिल जाता है। तो यह सब  तो चलता ही रहेगा।

क्योंकि जैसा हम सोचते हैं वैसा कभी नहीं होता जिंदगी हमें कुछ और ही दिखाती है? तो फिर क्यों हम अपनी जिंदगी को नर्क बनाएं? 

खुद भी दुखी रहें ।औरों को भी दुखी रखें क्यों?? इसीलिए अब मैं 2023 मे अपनी जिंदगी को नई उम्मीद देना चाहती हूँ। जो जैसा है वह वैसा ही रहे मुझे उसको नहीं बदलना मुझे खुद को बदलना है।

बहुत दिन हो गए कहते-कहते अब करने की बारी है।

मुझे खुद का आसमान ढूंढना है।मुझे अपनी खुशी ढूंढनी है। वह कोशिश में जरूर करूंगी।

मुझे पुरानी बातें अब नहीं करनी है इस साल में ईश्वर से यही कामना करती हूँ कि मेरा जीवन एक नए उत्साह के साथ आगे बढ़े और मैं सभी की अच्छाई के बारे में सोचूॅ। सब लोग खुश रहे। मेरी वजह से कोई दुखी ना हो। मुझसे मिलकर  कोई परेशान ना हो । मेरी बातें किसी को परेशान ना करें। यही है  यही प्रण मैं करना चाहती हूँ।
🙏🙏हे! प्रभु मेरी सहायता करो।मुझे आगे बढ़ने में मेरी मदद करो।
ऐ 2023 अपनी बाहों में कस के पकड़ ले कि मैं आने वाले सालों में आगे और आगे बढ़ती जाऊं और एक दिन मैं खुद को पा लूं।

ऐ जिंदगी गले लगा ले 
ऐ जिंदगी गले लगा ले

हमने भी तेरे हर एक गम को
गले से लगाया है
है ना?
ए जिंदगी गले लगा ले
ए जिंदगी गले लगा ले

हमने बहाने से छुपके जमाने से
पलकों के पर्दे में घर भर लिया
तेरा सहारा मिल गया है ए जिंदगी
ए जिंदगी गले लगा ले।

छोटा सा साया था आंखों में आया था
हमने तो बूंदों से मन भर लिया
हम तो किनारा मिल गया है जिंदगी
ए जिंदगी गले लगा ले।


यह साल तो आते ही रहेंगे और जाते रहेंगे सालों के बदलने से कुछ नहीं होगा हमें खुद को बदलना होगा औरों को नहीं😊😊😊😊
 
हिप हिप हुर्रे हिप हिप हुर्रे😃😄😄



 


























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8 Comments

Bahut hi shaandar

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Bahut sunder 👌

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shweta soni

03-Jan-2023 06:55 PM

Bahut sunder 👌

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